Thursday, September 16, 2010

jindgi

हम अक्सर सोचते हैं की जिन्दगी शायद हर वक्त हमारी परीक्षा ले रही है । जब भी एक समस्या हल होती है दूसरी समस्या के लिए मंच तैयार हो जाता है । अवसाद के समय में हम अक्सर भाग्य को दोष देते है, की शायद सफलता मेरी किस्मत में नही थी, इसी लिए मुझे इन इन मुश्किलों से जूझना पडा । कितुं विफलता का कोई कारण नही होता। इसके एक मात्र उत्तरदायी हम स्वयं है। सफलता सदैव सही दिशा में की गई एक ईमानदार कोशिश चाहती है। जब भी किसी सफल व्यक्ति के बारे में कहा जाता है तो ये सुनते है की उसने विपरीत परिस्थितियों के बावजूद अपनी मंजिल को पाया, क्या सफल बनने के लिए सदैव संभावनाओ का हमारे विपरीत होना ही है? हम क्यों साधन सम्पन्न होते हुए भी सफलता नही पा सकते ? क्यूंकि हम हर बार अपनी हार का ठीकरा किसी न किसी घटना , परिस्थिति या व्यक्ति के सिर पर फोड़ते है।

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